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Showing posts from April, 2020

04 October 2024

Now 06:31AM  Good Morning Yar...  आज उठने में लेट हो गया बबा आलस्य के वजह से यार 6 बजे उठूंगा करके सोचा था। लेकिन लेट हो गया कल दन्तेवश्वरी मंदिर गए थे यार बहुत भीड़ था तो इधर उधर घूमें अंदर नहीं गए। अब कभी और जाएंगे बबा फिलहाल अभी जा रहा हूँ फ्रेश होने bye.

23 अप्रेल 2020 को मन में आये ख्याल। खिलावन MINDSET 23 APPREL 2020 KO BY KHILAWAN

आज कल पता नहीं क्यो पढ़ने का मन नहीं कर रहा क्या करना है ये भी ख्याल में नहीं आ रहा है। साथ ही मेरा ज्यादा समय किसी से बात करने में नहीं मैं खुद अपने समय को गवाने में लगा हूँ पता नहीं ऐसा क्यों हो रहा है। शायद मुझमें में ही कोई मेरे मन में ही कोई उलझन हो क्या उलझन है। ढूंढना पड़ेगा नही तो पूरी लाइफ उलझ के रह जाएगी।  हाँ मैं अपने गोल को भूल रहा हूँ मुझे लगता है मैं आपने गोल को पाने के लिए कुछ कर ही नहीं रहा हूँ और सपने मेरे सभी उस गोल पर डिपेंड करते हैं।  तो खाब देखने से पहले मुझे अपने उस सपने को पूरा करने के लिये रास्ते का पता होना चाहिए।  मतलब ये है की मुझे मेरी मंजिल तो पता है लेकिन रास्ते को मैं खुद नही पहचान पा रहा हूँ।  अब मंजिल तक पहुंचने के लिए रास्तों पर चलना ही पड़ेगा न। तो क्या और कौन सा रास्ता है ? अपनी मंजिल को पाने का। सबसे पहले तो मुझे जितने भी और रास्ते हैं जिसका भी लक्ष्य मेरी मंजिल ही है। उन रास्तों में मुझे ऐसा रास्ता चुनना पड़ेगा जो की न तो कठिन हो और न ही सरल हो क्योकि कठिन रास्ते पर चलने की हिम्मत नहीं है।  और सरल रास्ते पर देर हो जाएगा तो

बचपन कविता खिलावन BACHPAN POEM BY KHILAWAN

Hello Everyone स्वागत है एक और मजेदार कविता के साथ मेरे ब्लॉग rexgin  में , आज मैैंने बचपन को लेकर इस कविता को लिखा है जिसे नाम दी है " बचपन" कविता खिलावन । आपको भी अपना बचपन बहुत याद आता होगा मुझे भी याद आता है लेकिन तब जब दोस्तों से मुखातिब होता हूँ। बचपन की बात जब उनके साथ शुरू होती है तब मुझे अपने मन में जो ख्याल आते हैं उसे लिखा है। तो चलिए कविता शुरू करता हूँ। बचपन कविता खिलावन BACHPAN POEM BY KHILAWAN बचपन का सफर कठिन न होता किसी का पर मेरा था.. बचपन का सफर कठिन न होता किसी का पर मेरा था। सभी घुमते निसंक और स्वतंत्र, पर मुझे शंकाओं और बाध्यताओं ने घेरा था।  सब करते मजें दिन के हर पल का लेते आनन्द.. मैं दिनभर में एक पल ढूंढता, लेने को आनन्द। मिलता था पल , कभी तो लेता था, मजे बचपन के.. आज भी याद आते हैं, खेल वो बचपन के. सब मजे किरकिरे हो जाते थे, जब खेल में बाधा आते थे। माँ बुलाती तब भी खेला चलता था, गुस्सा करती तो डर जाता था। तुरन्त दौड़ते-दौड़ते घर आता था। सब मजा किरकिरा हो जाता था। पर आज भी वो पल खुशियां देता है। बचपन की

एक स्माइल ही काफी है! Ek Smile Hi Kafi Hai Poem By Khilawan

एक दिन बातों बातों में लड़की उस लड़के से पूछती है क्या तुम मुझसे ऐसे ही बातें जब मैं सामने आऊंगी आपके तो करोगे तो लड़का कहता है आपकी तो एक स्माइल ही काफी है!  बात उन दिनों की है जब एक लड़का और लड़की साथ में पढ़ रहे हैं, उन्हें पता तो सब कुछ है लेकिन जान कर भी अनजान बने हुए हैं। बातें कुछ ऐसे करते हैं जैसे वो एक दोस्त न होकर दो प्यार करने वाले हों। तो आपके खिदमत में आपके सामने मेरी लेख प्रस्तुत है जिसे मैंने कविता समझ के लिखा है और आप न जाने क्या समझें। उन दोनों के बीच जो बात हुई थी उसको मैंने लड़के के द्वारा आपके समक्ष रखने की कोशिश की है। एक स्माइल ही काफी है! Ek Smile Hi Kafi Hai Poem By Khilawan Ek Smile Hi Kafi Hai उन दिनों बातें होती थीं मोबाइल में ढेर सारी.. उन दिनों बातें होती थीं मोबाइल में ढेर सारी। क्योंकि लड़का थोड़ा सरमिला था. सामने बात करने में थोड़ा ढीला था। पहले बात भी न होती थी। लेकिन लगता है वो मुझे याद करके सोती थी.. शुरुवात वो करती लेकिन ख़तम करना चाहता मैं था।  बस न जाने क्यों डर था! मेरे दिल में कहीं, ज्यादा हुआ तो नहीं था।  प

TEREE BATEN POEM BY KHILAWAN तेरी बातें कविता खिलावन

हाय दोस्तों कैसे हो आप उम्मीद करता हूँ आप अच्छे ही होंगे।  TEREE BATEN POEM BY KHILAWAN वैसे तो मेरे दिमाग में बहुत सारे ख्याल आते रहते हैं लेकिन कुछ ख्याल ऐसे होते हैं जिसे आपके साथ शेयर करना दिलचस्प बनाता है तो मेरे दिमाग में कुछ लाईने आई हैं जिसे मैंने कविता समझा है और उसे नाम दिया है  तेरी बातें  यहां पर लिखा है।  ये बातें हैं उस चाहने वाली की जिसकी चाहत उससे दूर है और उसे याद करके लफ़्ज़े बयां कर रहा है। तेरी बातें न जाने क्यों आज भी याद आती हैं तेरी बातें.. न जाने क्यों आज भी याद आती हैं तेरी बातें.. भूल जाता हूँ मैं, अपने आप को जब याद आती हैं तेरी बातें.. पर तुझे नहीं भुला पाता हूँ.. बैठे बैठे याद करता रहता हूँ मैं तेरी बातें.. न जाने क्यों ? याद आती हैं वो तेरी बातें.. कहा था न ? तूने तूं मेरा दोस्त है ! आज भी याद करता हूँ , दोस्त वो तेरी बातें.. अपना हाल किससे कहूँ? अपना हाल किससे कहूँ?.. सब कहते हैं किस्से हैं ये तेरी बातें... पर मुझे सुकून कहाँ? पर मुझे सुकून कहाँ? लोगों से करते-करते अपनी बातें.. कर बैठता हूँ मै