Now 06:31AM Good Morning Yar... आज उठने में लेट हो गया बबा आलस्य के वजह से यार 6 बजे उठूंगा करके सोचा था। लेकिन लेट हो गया कल दन्तेवश्वरी मंदिर गए थे यार बहुत भीड़ था तो इधर उधर घूमें अंदर नहीं गए। अब कभी और जाएंगे बबा फिलहाल अभी जा रहा हूँ फ्रेश होने bye.
आज कल पता नहीं क्यो पढ़ने का मन नहीं कर रहा क्या करना है ये भी ख्याल में नहीं आ रहा है। साथ ही मेरा ज्यादा समय किसी से बात करने में नहीं मैं खुद अपने समय को गवाने में लगा हूँ पता नहीं ऐसा क्यों हो रहा है। शायद मुझमें में ही कोई मेरे मन में ही कोई उलझन हो क्या उलझन है। ढूंढना पड़ेगा नही तो पूरी लाइफ उलझ के रह जाएगी। हाँ मैं अपने गोल को भूल रहा हूँ मुझे लगता है मैं आपने गोल को पाने के लिए कुछ कर ही नहीं रहा हूँ और सपने मेरे सभी उस गोल पर डिपेंड करते हैं। तो खाब देखने से पहले मुझे अपने उस सपने को पूरा करने के लिये रास्ते का पता होना चाहिए। मतलब ये है की मुझे मेरी मंजिल तो पता है लेकिन रास्ते को मैं खुद नही पहचान पा रहा हूँ। अब मंजिल तक पहुंचने के लिए रास्तों पर चलना ही पड़ेगा न। तो क्या और कौन सा रास्ता है ? अपनी मंजिल को पाने का। सबसे पहले तो मुझे जितने भी और रास्ते हैं जिसका भी लक्ष्य मेरी मंजिल ही है। उन रास्तों में मुझे ऐसा रास्ता चुनना पड़ेगा जो की न तो कठिन हो और न ही सरल हो क्योकि कठिन रास्ते पर चलने की हिम्मत नहीं है। और सरल रास्ते पर देर हो जाएगा तो