Now 06:09AM Good Morning Yr...🧡 Miss you maa. Now 08:01AM यार जिसे मिस करो उससे आजकल बात नहीं होती 😊 अभी थोड़ी देर पहले माँ से बात करने के लिए कॉल किया था बात भी नहीं हुई यार। कोई न साम को बात करूँगा यार 😊 Love You Maa...🥰 अभी पढाई करते हैं यार bye न Now 11:59AM Do what you want?
Hello Everyone स्वागत है एक और मजेदार कविता के साथ मेरे ब्लॉग rexgin में , आज मैैंने बचपन को लेकर इस कविता को लिखा है जिसे नाम दी है "बचपन" कविता खिलावन।
आपको भी अपना बचपन बहुत याद आता होगा मुझे भी याद आता है लेकिन तब जब दोस्तों से मुखातिब होता हूँ। बचपन की बात जब उनके साथ शुरू होती है तब मुझे अपने मन में जो ख्याल आते हैं उसे लिखा है।
तो चलिए कविता शुरू करता हूँ।
बचपन कविता खिलावन BACHPAN POEM BY KHILAWAN
बचपन का सफर कठिन न होता किसी का पर मेरा था..
बचपन का सफर कठिन न होता किसी का पर मेरा था।
सभी घुमते निसंक और स्वतंत्र, पर मुझे शंकाओं और बाध्यताओं ने घेरा था।
सब करते मजें दिन के हर पल का लेते आनन्द..
मैं दिनभर में एक पल ढूंढता, लेने को आनन्द।
मिलता था पल , कभी तो लेता था, मजे बचपन के..
आज भी याद आते हैं, खेल वो बचपन के.
सब मजे किरकिरे हो जाते थे, जब खेल में बाधा आते थे।
माँ बुलाती तब भी खेला चलता था, गुस्सा करती तो डर जाता था।
तुरन्त दौड़ते-दौड़ते घर आता था।
सब मजा किरकिरा हो जाता था।
पर आज भी वो पल खुशियां देता है।
बचपन की यादें आज भी कही न कहीं रुला देता है।
हँसी औरों के लिए मुझे गम भी देता है।
बचपन सच में मुझे आज भी रुला देता है।
मैंने बचपन मे ज्यादा मजा किये ऐसा लगता था।
अब सुनता हूँ, बातें दोस्तों की तो लगता है, मैने बचपन को ही ठीक से नहीं जिया है।
पर क्या दिन थे? जिसमें न कोई भूख थी, किसी को पाने की, न डर था, कहीं किसी के खो जाने का।
क्या ऐसे ही याद आते रहेंगे वो दिन बचपन के, अब तो हो चली है उम्र आने को हैं दिन पचपन के ।
उन दिनों सुकून था चैन था, प्यार था दुलार था।
अब तो न चैन है न कोई करार है।
फिर भी क्यों लगता है, कोई न कोई प्यार है।
यार दिल बेकरार है, मुझको को तो लगता है कि बचपन ही प्यार है।
दिल बार बार करता है, बच्चा बन जाऊं मैं बचपन में जाके फिर से धूम मचाऊं मैं।
अभी न तो चैन है, न करार है फिर भी न जाने क्यों? लगता प्यार है।
ऐसे दिल में आते ख्याल हैं, बचपन की यादों में ही बवाल है।
किसी के रोके न रुके, वो आने वाला दिल से ख्याल है।
बवाल है बवाल है।
अभी तो लगता बाकी है, बचपन आया भूचाल है, बचपन की यादें भी कमाल है।
बचपन तो बीत गया, बचपन तो बीत गया, लेकिन बचपना का आया ख्याल है।
अभी तो मैंने भविष्य को, सिर्फ एक तीर, से झांकी है।
बचपन अभी बाकी है, बचपन अभी बाकी है।
बचपन के सपनों को करूँगा सच।
अब मैं करूँगा टू मच..
दादा के संग बिताए बचपन दादा के सपनो को करूँगा सच ।
अब करूँगा टू मच।
हसीन होते हैं बचपन सभी के पर मेरा कुछ मद्धिम था।
पर फिर भी आता है याद, कुछ पल तो हसीन था।
दादा करता था, अपने बचपन को याद।
उन्हें भी लगता बचपन हसीन था।
मुझे भी यकीन था , मुझे भी यकीन था।
सच में यकीन नहीं होता, मेरा बचपन भी हसीन था।
आपको ये कविता बचपन कैसे लगा कमेंट में बताना और मुझे इसे लिखते वक्त ऐसा लगा कि अब बचपन को मैने दोबारा जी लिया।
आप भी शेयर करें अपने बचपन के ख्वाबों को उसे पूरा करना ही मजा होना चाहिए। अपने जीवन का तो कोई न कोई लक्ष्य होना चाहिए।
आप जैसे भी हों आपको खुश होना चाहिए।
धन्यवाद!
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