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Showing posts from August, 2020

04 October 2024

Now 06:31AM  Good Morning Yar...  आज उठने में लेट हो गया बबा आलस्य के वजह से यार 6 बजे उठूंगा करके सोचा था। लेकिन लेट हो गया कल दन्तेवश्वरी मंदिर गए थे यार बहुत भीड़ था तो इधर उधर घूमें अंदर नहीं गए। अब कभी और जाएंगे बबा फिलहाल अभी जा रहा हूँ फ्रेश होने bye.

कभी शिकायत खुद से होती है Kabhi Shikayat Khud Se Hoti Hai Poem By Khilawan patel

तो यार स्वागत है आपका मेरे इस सपनो की दुनिया में जिसमें मैं अपने थॉट को आपके साथ शेयर करता हूँ जो हमेशा काल्पनिक रहती है। तो पढ़िए ये कुछ लाइने.. कभी शिकायत खुद से होती है कि ऐसा क्यों है तूं.. अंदर से आवाज आती है तूं ऐसा है इसमें बुराई ही क्या है.. फिर आवाज आती है मैं क्यों अपने आप को बुरा कह रहा हूँ.. क्या सच मे तूं इतना बुरा है खुद को बुरा कह रहा है.. नही जो कह रहा है वो दुनिया के तौर तरीकों को देख कर कह रहा है.. अगर इतनी ही बुराई तुझमें होती तो तूं आज जिंदा न होता.. या जो तुम्हें बुरा कह रहा है वो न होता.. तो तूं जैसा है वैसा ही ठीक है इसमें क्या बुराई है.. बुराई कुछ भी नही फिर बुरा क्यों लग रहा है.. क्या उसके कारण जिसे तूं अच्छा समझता था  नही  उसे क्या पता मैं किसी को क्या समझता हूं शायद मैं गलत समझू लेकिन वो तो अच्छा ही है.. नही अच्छा ही क्यों  हर कोई अपने जगह पर सही है.. तो खाली परेशान होने का कोई मतलब नही है.. हां नही है.. न मैं सही हूँ न वो सही है जो पल है जैसा है वो सही है। कभी कभी बातें ऐसे हो जाती है जिसे बयान करना बहुत ही बु

Kuchh Kahna Tha Mujhe Lekin Kah Nahi Paya Poem by Khilawan Patel

Kuchh Kahna Tha Mujhe Lekin Kah Nahi Paya Image create by KHILAWAN कुछ कहना था मुझे उसे लेकिन कुछ कह नही पाया। देखा था उसके चेहरे को लेकिन नजर मिला न पाया। शायद रुक जाती तो उसे कह देता  वो रुकी नही और मैं कह नही पाया। क्या करूँ गलती मेरी थी उसे अच्छे से देख न पाया कुछ कहना था उसे लेकिन कह न पाया। सूरत देखा मैंने पर उससे नजरें न मिला पाया वो बोलती रही मैं नजरें चुरा आया। शायद उसको भी मुझसे कुछ कहना था लेकिन उसने भी कोई कह न पाया। गलत मैं ही था क्या जो रुका नही उनको भी तो रुकना था। मैं यूँ ही क्यों वैसे ही बिना कहे लौट आया। कुछ कहना था मुझे लेकिन कुछ कह न पाया। मैं यूँ ही गुमसुम सा लौट आया। मैं यूँ ही गुमसुम सा लौट आया। कुछ कह न पाया। काल्पनिक है वास्तविकता से किसी से कोई सम्बंधित नही है इसका कॉपीराइट का सम्पूर्ण अधिकार सुरक्षित मेरे पास।सुरक्षित है।

हर कोई सही है Har Koi Sahi Hai by Khilawan

हर कोई सही है अपने अपने जगह पर और अपने अपने नजरिये से पर मुझे ऐसा क्यों लगता है कि मैं ही सही हूँ? वो गलत है। क्या सच में ऐसा है इसको समझने की कोशिश करता हूँ। ऐसा नहीं है कि वह गलत हो आप अपने आप से तुलना करके देखें कि क्या आप हर जगह पर सही हैं। नही न तो वो कैसे आपके लिए हर जगह सही रहेगी या रहेगा। सब बातें समझने का है अगर आपने समझ लिया तो फिर खेल में बाजी मार ली और अगर नही समझा तो तुम बुरी तरह हार जावोगे। हर किसी के सोचने का तरीका अलग होता है और हर कोई मेरे तरह नहीं सोचता है। जैसे मैं अपने बारे में ज्यादा सोचता हूँ लेकिन उससे दोस्ती होने के बाद न जाने क्यों उसके बारे में सोचता हूँ। और अब मेरे को लगता है कि वो मेरे बारे में सोचती या सोचता ही नही है। क्योंकि उसे कोई और मिल गया है। ये मन मे ख्याल आते हैं। क्या ये सही है? नही ये सही नही है जब तक मैं जान न लूँ क्या कारण है। मानलो मिल भी गया हो या गई हो उसे तब क्या? अगर मुझे पता चलता है कि उसके लाइफ में कोई है और मुझे एहसास होता है कि मैं उन दोनों के बीच रुकावट बन रहा हूँ तो उनसे बाते करना बंद कर दूँगा। अब बात आत

क्या कहूँ अब उससे Kya Kahun Ab Usse Poem by Khilawan

जब कोई दिल तोड़ देता है न तब ऐसी आवाजें निकलती हैं जिसका जवाब किसी के पास नही होता देखिए क्या आवाजे हैं... Kya Kahun Ab Usse Poem क्या कहूँ अब किसी से, कुछ कहने को उसने छोड़ा कहाँ है। दिल तोडना था उसे, मगर उसने दिल तोड़ा कहाँ है। उसने तो मेरी दुनिया ही, उजाड़ दी। अब रहने लायक मकान, उसने छोड़ा कहाँ है। दिल ऐसे तोड़ा है न, अब तो अंदर से आवाज आती है। छोड़ दे सब कुछ, कुछ नहीं तेरे लिए। पर न जाने ये दिल, के किस कोने में अभी वो, जिंदा है। दिल कहता है, रुक जा थोड़ा समझ में तो आये उसे। फिर मन कहता है, हटा यार समझ आये ये, प्यार कहाँ उसे। पता नही वो समझती है, या नही लेकिन उसकी बातों से लगता है। प्यार है ही नही मुझसे, ठीक हुआ, समझ मे आ गई जिंदगी। का एक और इकाई, इकाई सीखा गई जिंदगी। अब से उसे है मेरे तरफ से विदाई ही विदाई.. तूं खुश र मैं बस यही चाहता हूँ। चाहता हूं फिर भी मैं यही चाहता हूँ। तूं किसी के साथ भी रहे कोई फर्क नही पड़ता, ऐसा कह भले देता हूँ, लेकिन फ़र्क़ पड़ता है। अब बोलूँ तुझे कोई वजह तो हो। वजह नहीं न कोई वजह का कारण है। शा