Now 04:58AM GOOD MORNING SANGWARI...😎
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आज के लिए श्लोक 31 है चलिए देखें :
गीता अध्याय-1 श्लोक-31
प्रसंग- अर्जुन ने यह कहा कि स्वजनों को मारने से किसी प्रकार का भी हित होने की सम्भावना नहीं है, अब फिर वे उसी की पुष्टि करते हैं-
निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव ।
न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे ।।31।।
हे केशव ! मैं लक्षणों को भी विपरीत ही देख रहा हूँ तथा युद्ध में स्वजन-समुदाय को मारकर कल्याण भी नहीं देखता ।।31।।
ऐसे ही हमलोग भी सोचते हैं और कई बार गलतियां कर बैठते हैं। कल आगे का श्लोक देखेंगे।
जय श्री राधे कृष्णा हरे मुरारी। 🤔
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