वो कल था आज नही कविता मेरी भावनाओं और मेरी सोच से जुड़ी हुई कुछ यादें हैं। यह किसी के लिए नहीं है यह सिर्फ मेरे लिए है। इसे अन्यथा न लें, आइए..
कल था आज नहीं : KAL THA AAJ NAHI
वो कल था आज नहीं,
वो बिता हुआ पल था, ख्वाब नहीं।
जो टूटा इस कदर है, जिसका कोई जवाब नहीं,
ख्वाब थी या हकीकत, कोई बात नहीं।
असल में तो कोई जवाब नहीं,
वो कल था आज नहीं।
सपने जैसे थे वैसे ही रह गए,
बस हम टूट गए, आँसू जो था ढह गए।
जो कुछ कहना था, हम कह गए,
रो कर भी हम चुप सा रह गए।
जो कुछ कहना था हम सब कह गए,
फिर भी ख्वाहिशे अधूरे से रह गए।
आँसू थे आँसू बनकर ढह गए,
जो था मन में सब कुछ कह गये।
चुप हूँ अब कुछ नही कहना मुझे,
बस इतना सा कहना है, उससे।
प्यार सिर्फ आपने ही नहीं किया है,
हमने भी किया है, इसलिये।
चुप सा हम रह गए, जो कुछ कहना था,
वो सब हम कह गए।
जैसा आपका प्यार है वैसे ही मेरा है,
फर्क सिर्फ इतना है आप कहते हो।
वो मेरा है वो तेरा है,
पर मेरा तेरा कुछ नही अपने हैं सब।
जैसे आप उसके लिए कुछ भी कहते हैं,
वो सब हम भी आपके लिए कहते हैं।
जैसा आपका प्यार है वैसे मेरा भी है,
बातें न होने से कभी खत्म नही होंगी।
दूर होने से खत्म न होंगी,
ये ही प्यार है!
गम नही दूर होने का,
क्योकि मैं आपके चेहरे पर खुशी चाहता हूँ।
दूर रहकर भी तू मुस्कुराए मैं ये देखना चाहता हूँ।।
इसलिए तो रखें हैं ख्वाबों को सँजो कर,
कहि भूल से भी भूल न जाऊँ।
Thank You.
Hi my name is khilawan I am a blogger, thinker and runner.
I am Publish this poem 04:25 AM 12/01/2021
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