Now 06:31AM Good Morning Yar... आज उठने में लेट हो गया बबा आलस्य के वजह से यार 6 बजे उठूंगा करके सोचा था। लेकिन लेट हो गया कल दन्तेवश्वरी मंदिर गए थे यार बहुत भीड़ था तो इधर उधर घूमें अंदर नहीं गए। अब कभी और जाएंगे बबा फिलहाल अभी जा रहा हूँ फ्रेश होने bye.
आज जब वाट्सप में स्टेटस डाल रहा था तो मन में एक वर्ड आया अस्तित्व और इसे लेकर जो विचार मेरे मन में आये उसे कविता के रूप में लिखा है..
#अस्तित्व
अच्छा लगे तो कमेंट करके बताएं.......
Astitva Poem by Khilawan
Astitva (Existence) Finding a person |
अस्तित्व मेरा हो या तेरा एक दिन मिट ही जाना है।
क्या खोया है, जो तुमने उसे पाना है।
खाली हाँथ आये थे, खाली हाँथ जाना है।
इस मंजर को भी गुजर जाना है।
जो तकदीर बदलने की सोचता है, हर इंसान।
क्या पता उसे एक पल के बाद दूजे पल में मर ही जाना है।
मुसीबतों से घिरा इंसान यही कहता है।
मुझे एक दिन इन मुशीबतों से पार हो जाना है।
सच में क्या मुशिबतें होती हैं या
ये सिर्फ एक बहाना है।
मुझे नहीं पता ऐ मेरे दोस्त।
पर मुश्किलें न हो तो मजा का क्या जमाना है।
मुश्किलों से ही तो बना पैमाना है।
जिसमें एक पलड़ा ऐसा है जिसके पास खजाना है।
दूजा पलड़ा ऐसा है, जिसका न कोई ठिकाना है।
पर उसे नही पता एक दिन फिर से,
उसे इस मिट्टी में मिल जाना है।
गुमान किस बात का करता है रे इंसान।
एक दिन तो जाना ही है समसान।
फिर तुझे किस बात का है अभिमान।
तेरे सपने कभी पूरे नहीं होंगे रे इंसान।
क्योंकि तुं खुद से है अनजान।
तुझे नहीं पता इस संसार में अस्तित्व हीन है इंसान।
अस्तित्व हीन है इंसान।।
#अस्तित्व
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