Good Morning My Love...
तो आदत बहुत खराब हो गया है मेरा आज से मस्त हो गया। ओके हम अब फोड़ेंगे।
प्रपत्र को नहीं भरा हूँ उसे भरना पड़ेगा ओके और टाइम मैनेज करना पड़ेगा क्योंकि पैसे कमाने हैं मुझे।
चलिए आज के भागवत गीता का अध्ययन करें... और भावार्थ समझें।
श्लोक नम्बर 27 अध्याय 1
प्रसंग-
बन्धुस्नेह के कारण अर्जुन की कैसी स्थिति हुई, अब ढाई श्लोकों में अर्जुन स्वयं उसका वर्णन करते हैं-
तान्समीक्ष्य स कौन्तेय: सर्वान्बन्धूनवस्थितान् ।।27।।
कृपया परयाविष्टो विषीदन्निदमब्रवीत् ।
भावार्थ : उन उपस्थित सम्पूर्ण बन्धुओं को देखकर वह कुन्ती पुत्र अर्जुन अत्यन्त करुणा से युक्त होकर शोक करते हुए यह बचन बोले ।।27वें का उत्तरार्ध और 28वें का पूर्वार्ध ।।
आज का ज्ञान बस इतना है जैसे अर्जुन को दुःख हो रहा है इससे लगता नहीं ये वापस लड़ पायेगा।
लेकिन अंत आपको पता है क्या होता है। ओके
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