आज लेट से सोए थे तो लेट से उठे हैं और अभी जब लिख रहा हूँ तो सुबह के 7:15 हो रहे हैं। वैसे उठने को तो मैं आज बहुत लेट से उठा हूँ 6:30 को।
आज जब फोन की न माँ ने तब उठा हूँ बिटिया से भी बात किया और सब ठीक है माँ के पैरों में थोड़ा दर्द है, मैं चाहता हूँ वो दर्द न रहे।
तो आज की प्रार्थना मेरी माँ के लिए। भगवान उन्हें मेरी पुण्य का फल भी उन्हें दे दें ताकि उनका पैर ठीक हो जाये।
सच में पाप या पुण्य नहीं पता लेकिन कर्म पता है तो मैं कुछ करना चाहता हूँ अपनी माँ के लिए।
जब भी मैं लिखता हूँ मुझे नई पता तब धीरे धीरे समझ आने लगती है ऐसा क्यों..?🙏
चलिए अब भागवत के आठवें श्लोक को देखें और भावार्थ समझें :
कल दुर्योधन जो है अपनी सेना के बारे में बता रहे थे वह यही है :
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः ।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥
भावार्थ : आप-द्रोणाचार्य और पितामह भीष्म तथा कर्ण और संग्रामविजयी कृपाचार्य तथा वैसे ही अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा॥8॥
अभी तक क्या कुछ समझे जब भी युद्ध होने वाला हो तो सबकी तैयारी ऐसी होनी चाहिए परिचय ऐसा होना चाहिए, जिसमें संसय और संदेह न रहे हम किसी भी मायने में सामने वाले से कम नहीं है। ये मेरी सोच है आपने क्या सीखा आप ही जाने।
Now 09:05AM
तो आज छुट्टी है मेरे दोस्त और सबसे महत्वपूर्ण काम आज मैं करने जा रहा हूँ और वो है अपने आप को समय के पाबंद पर बांधने जा रहा हूँ।
जैसे मैं अपनी वाली के लिए अपने लिए संघर्ष कर रहा था वैसे ही अब जीवन भर संघर्ष करता रहूँगा मुझे अपनी मंजिल में पहुँचने का सुख चाहिए।
मुझे सफर का मजा लेते हुए आगे बढ़ना है। ओके तो यही करते हैं।
भगवान तो नहीं लेकिन कोशिस करूँगा सम भाव बना रहे सुख और दुख दोनों ही सिचुवेशन में।
ओके तो अब मैं अपनी ऑफलाइन वाली डायरी में आज के टाइम टेबल को लिखता हूँ।
और अब हर दिन सोने से पहले टाइम टेबल बना कर सोऊँगा मुख्य लक्ष्य क्या है उसे ध्यान में रखकर समय सारणी बनाऊंगा ओके।
तो Baby चल जीते हैं...
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