जब कुछ भी न चल रहा हो जीवन में तो मन ऐसे होता है,,,
न तो कुछ चाहिए और न ही कोई बड़ी ख्वाहिश है।
Good Morning Butki...💛
Now 04:20PM
अभी यार मैं तेंदूकोना में हूँ और मैं यूट्यूब सोर्ट्स देखे जा रहा हूँ और मेरे वीडियो के सजेसन में सिर्फ आईएस आईपीएस के वीडियो आ रहे हैं।
मेरा मन भी पढ़ने को कर रहा है पर क्या पढ़ना है और अपने आप के ऊपर मैं भरोषा नहीं कर पा रहा हूँ मेरे मन में आ रहे हैं की ये नहीं हो पायेगा क्योंकि यूजीसी नेट जैसे सरल विषय को मैं निकाल नहीं पा रहा हूँ ये तो UPSC है इसमें एक विषय नहीं होते इसमें आपके कितने सब्जेक्ट होते हैं देखो ये भी नहीं पता मुझे पर चार से पांच विषय तो होते ही हैं प्री और मेंस को मिलाकर।
तो बात ये है की मेरा मन बहुत ही अशांत है और इधर उधर घूम रहा है मैंने आज कई बार इंटरनेट पर सर्च किया की
I have 500 rupees i want to make 1000 rupees it is possible or not
तो बहुत सारे जवाब मुझे मिले और मैं ज्यादातर उन सबके बारे में जानता था लेकिन उनको कैसे करना है ये नहीं जानता था। ओके
तो उसके बाद मैंने Youtube Shorts देखने शुरू किये और मेरे सजेसन में IPS and IAS के वीडियो आने लगे।
अभी मेरे मन में आ रहा है की क्यों न इसे कुछ समय बाद देखा जाए मेरे कहने का मतलब है मैं पहले अच्छा शिक्षक बन जाऊं मतलब नेट को पहले क्लियर कर लूँ क्योंकि ये उससे आसान है बिलकुल
आगे
मैं मेरे मन में आ रहा है की मैं इसे तीन साल के टारगेट के रूप में लेकर करूंगा की इस साल मतलब अभी से नेट की तैयारी करूंगा और दिसंबर नहीं तो 2024 के जून तक क्लियर करूंगा।
मतलब मैं ये मान के चल रहा हूँ की मेरे पास दो मौके हैं इसमें आराम से हो जाएगा उसके बाद कुछ आय के श्रोत बन जाएंगे फिर मैं अगले दो साल में Try करके देखूंगा IAS और IPS के लिए।
क्या है कैसे है मुझे कुछ नहीं पता मैं तीन साल का टारगेट लेकर चल रहा हूँ। यदि कुछ नहीं भी हुआ तो भी मैं वहीं करूंगा जो मैं करना चाहता हूँ कुछ और करके।
सबसे पहले तो मुझे सबसे आसान काम करना है रोज एक ही काम पढ़ना है बस आदत बना के चलना है ओके क्योंकि ये आगे काम आएगा।
दूसरी बात अभी मुझे थोड़े बहोत पैसे भी कमाते रहना है ताकि मेरे ऊपर घर के तरफ से कोई प्रेसर न पड़े।
चॉइस सेंटर को बंद करने वाला था उसके बाद पढ़ाई करने वाला था।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं बहुत रोया था उस दिन ये सोच कर की मैं एक डिजिटल मार्केटर ब्लॉगर बनने के लिए इस चॉइस सेंटर को खोला था और देखो आज इसे बंद करने जा रहा हूँ।
दो से तीन दिन ऐसा था जिसमें मैंने कुछ भी नहीं किया था खाली ये सोचकर टेंसन में था की मेरे घर वाले मुझे सपोर्ट नहीं कर रहे हैं।
पर ऐसा नहीं है कर रहें हैं सपोर्ट पर बिना पैसे के मतलब कह रहे हैं बस दूकान खोल के रख हमारे घर को बन जाने दे फिर यहां घर में खोल लेना।
मैंने कहा भैया यहां बंद तो वहां भी बंद समझे न बिजनेस एक बार चालु जहां से हुआ है वही से पूरी तरफ फैलेगा नहीं तो क्लोज समझे।
फिर ले देकर मैंने अपने आप को समझाया और अपने आप से कहा की मैंने ये सेंटर खोलते वक्त खुद से वादा किया था की मुझे चाहे नुकशान हो या फायदा मैं तीन साल तक इसे बंद नहीं करूंगा बल्कि कोशिस करूंगा की कैसे नुकसान को कम करके फायदा कमाया जाए। कुछ सीखूंगा इससे उसके बाद भले ही मन किया तो बंद कर दूंगा।
अब आ रहा हूँ लेकिन फिर से मेरी जिंदगी में ये मोबाइल है और मैं फिर से अपने आप को भटका हुआ महसूस कर रहा हूँ।
तो चलिए आज से एक नई शुरुआत करते हैं जैसे मैंने मेरी मोहब्बत के लिए अपने आप को बदलने का ठाना था वैसे ही आज अपने आप के लिए करना है।
अगर आप पढ़ रहे हो ध्यान से तो प्लीज आपके मन में जो भी आये कमेंट में लिखना।
आज बहुत कुछ लिख दिया अब सी यू सून बेबी बाय जिस दिन सफल हुआ न उस दिन मैं सबसे पहले एक किताब लिखूंगा जिसमें सिर्फ मेरी मोहब्बत के चर्चे होंगे मुझे कभी भी किसी से फर्क पड़ने वाला नहीं है क्योंकि किसी के साथ मैंने गलत नहीं किया है।
बल्कि मैंने जो कुछ भी किया है बताकर किया सिर्फ दो बातें मैं मेरे पुरे जीवन में याद करता रहूंगा कास मैंने उसे पहले से बताया होता I LOVE HER और दूसरी बात कास मुझे पता होता की पैसे के आगे सबकी बोलती बंद हो जाती है।
यहां तक की समाज की भी।
जो बड़े लोग हैं वो किसी से भी शादी करें कोई बोलता नहीं उन्हें समाज में नियम तोड़ने के कोई सजाये मौत नहीं मिलती हम गरीबों को मिलती है।
जबकि नियम उन्हीं बड़े लोगों के द्वारा बनाया जाता है इसके पीछे की कहानी को कोई आज तक समझ ही नहीं पाया।
मेरे ख्याल से खान सर ने समझा है और इसीलिए वो ऐसा कर रहे हैं की सात से दस हजार में वो शिक्षा दे रहे हैं जो लाखों में मिलती है।
बस खुश र अउ याद करत र :) हे हे चल बाय। ...
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Tejaswini |
अपने लिए नहीं सही इसके लिए कुछ कर जा (self motivation)
तान्या मतलब होता है परिवार ये नाम सबसे पहले पसंद आया था मुझे क्योंकि मुझे परिवार चाहिए था।
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