जीवन के नए सफर के साथ करते हैं दिन की शुरुआत Good Morning...
👩🏫👩🏫👩🏫👩🏫👩🏫
किसी बात पर नराज हो जाना और फिर से मान जाना अच्छा है। कभी न बात करने से...
पर किसी को एक बार दो बार मनाने के बाद तीसरी बार न मनाना बुरा है इनफैक्ट बार बार न मनाना गलत बात है।
अरे यार रूठना ही क्यों जब मान जाना है 🤗
After 06:40AM
दो लाइनें लिखने का मन कर रहा है अभी चलते चलते इन तारों पर बैठे पंछियों को देख के...
कास मैं पँछी होता |
कास मैं भी पंछी होता इस मस्त गगन में पंख फैलाये उड़ रहा होता।
थक जाता कहीं तो तारों में जैसे ये बैठे हैं वैसे ही मैं बैठा होता।
न होती सीमाएँ मेरी कभी न मुझे अपनी औकात का पता होता।
उड़ रहा होता मस्त गगन में शरारते करते करते सोता।
हाय क्या मस्त होते न जब मैं पंछी होता।
समाज की न कोई बंदिशें होती, न होती लोगों से कोई ख्वाहिशें।
मेरी अपनी Mamma होती और मैं होता।
करते सैर सपाटे तब Mamma को मनाना न इतना मुश्किल होता।
क्योंकि समाज न होते बीच में न होते माँ पापा की ख्वाहिशें।
तकलीफें होती बेशक जीवन में पर इस कपटी जीवन से तो अच्छा होता।
कास इस मस्त गगन में उड़ने वाला पंछी मैं भी होता।
Thank you very much...:))
Panchhi wali line mast hai
ReplyDeleteSachhi me hmm :)
Delete