होता क्या है सबके सपने लगभग एक जैसे होते हैं मेरा भी वैसा था।
ठीक है!
अब जब उन सपनों में से जब कोई एक बड़ा सपना टूट जाता है तो!
मन में ऐसे ही ख्याल आते हैं कि साला इससे अच्छा तो मर ही जाना ठीक है।
मेरे अंदर भी ऐसे ही ख्याल आते हैं लेकिन मैं मर नही पाता इसके दो वजह हैं -
पहली वजह है जो मेरे दादा ने कहा था की चाहे कुछ भी हो जाये मरना नही है भले ही घर को छोड़ दो और जब मन शांत हो तो फिर घर आ जाओ।
दूसरी वजह मेरे खुद के अपने थॉट्स हैं जिसमें मैं सोचा करता हूँ जिंदगी में भले ही सपने पूरे हो या न हों उन सपनों को पूरी करने की भरपूर कोशिश करनी है। ताकि बाद में पछतावा न हो कि यार मैंने कुछ कसर तो नहीं छोड़ी उस सपने को पूरे करने में उसके बाद भी अगर वो सपने हकीकत नहीं बन पाए तो उसमें मेरी कोई गलती नही है।
और फटाफट से आगे बढ़ जाना है क्योंकि जिंदगी सपनो से भरी पड़ी है और मुझे यही सपने जीने को मजबूर करती हैं।
क्योकि मैं अपने सारे सपने पूरे करने के बाद सुकून से मरना चाहता हूँ।
तो बस यही कारण हैं जीने की तो मैंने थोड़ा गलत वर्ड यूज कर दिया है मजबूरी सही मायने में जीना मजबूरी नहीं होता है जीना जीना होता है।
जिसको मैं जी रहा हूँ वहीं जिंदगी है जिसको मैं महसूस कर रहा हूँ वही जिंदगी है।
तो जिंदगी है अभी मजबूर नही है कभी भी जीने को उसे जीना है तब वो जी रहा है।
पता नहीं यार आज क्या हुआ जिंदगी के बारे में लिखने का मन किया तो जो मन में आया लिख दिया।
Sorry For That... Some how reason
And Good Morning yar...
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